पाठकों के लिए एक अनिवार्य सलाह : एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक आपके शारीरिक एवं मानसिक लक्षणों आदि को जानने के बाद आपके लिए होम्योपैथी की सही दवाई, सही शक्ति में निर्धारित करते हैं। अत: किसी योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह के बिना होम्योपैथिक दवाईयों का सेवन करने से सही परिणाम सामने नहीं आते हैं और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति बदनाम होती है!-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

सोमवार, 22 अप्रैल 2013

एलर्जी

आजकल की प्रदूषणभरी और भाग दौड की जिन्दगी मे एलर्जी एक जाना पहचाना शब्द है. लगभग ९० प्रतिशत व्यक्ति किसी न किसी रुप से एलर्जी से ग्रसित है. किसी को दुध से नफरत है तो किसी को दही से या यूँ कहें उन्हें इन चीजों के खाने से कुछ विशेष लक्षण उत्पन्न होते है आजकल के शब्दों मे उन्हें दुध या दही से एलर्जी है.
एलर्जी कोई रोग न होकर एक शारीरिक और मानसिक प्रतिक्रिया है जो किसी खास वस्तु के सम्पर्क मे आने से उत्पन्न होती है. जिस वस्तु के सम्पर्क मे आने से यह प्रतिक्रिया होती है उसे उत्तेजक कारक कहते है. अप्राकृतिक खानपान, रहन- सहन के कारण या कभी कभी वंशानुगत भी एलर्जी होने के कारणों में है.

बचपन से ही वातानुकुलित कमरों मे रहने के कारण आजकल बच्चों मे मौसम के परिवर्तन के प्रति सहिष्नुता का अभाव देखा जा रहा है. मौसम का परिवर्तन उनका शरीर बर्दास्त नहीं कर पाता है और कई प्रकार के शारीरिक लक्षण उत्पन्न हो जाते है. यह भी एक प्रकार का एलर्जी ही है.

कुछ विशेष वस्तु जैसे घर का महीन धूल , कालीन का धूल , मकडे का जाल , उपलों का धुआँ , आदि कुछ एसी वस्तुएं है जिनसे बडे पैमाने पर लोगों को कुछ शारीरिक परेशानियाँ होने लगती हैं. जैसे दम फुलना, नाक और आँख से पानी आने लगना, लगातार छीकें आने लगना आदि जिसका तत्काल ईलाज आवश्यक है.

हालांकि होम्योपैथिक दवाओं का चुनाव रोगी की प्रकॄति, उत्पन्न शारीरिक और मानसिक लक्षण के साथ साथ मियाज्म के आधार पर किया जाता है फिर भी किसी खास वस्तु (उत्तेजक कारक) से उत्पन्न एलर्जी के लिए निम्न दवा का व्यवहार कर लाभ उठा सकते है. नीचे का चार्ट देखें

धुल और धुएं से एलर्जी ---------------------- पोथोस पोटिडा
प्याज से से एलर्जी ---------------------- थुजा, एलियम सिपा
एण्टिवायोटिक दवाओं से एलर्जी ---------------- सल्फर
दुध से एलर्जी -------------------------------- ट्युवर्कोलिनम, सल्फर
दही से एलर्जी -------------------------------- पोडोफाइलम
मिठाई से एलर्जी ----------------------------- आर्जेन्टम नाईट्रिकम
चाय से एलर्जी ------------------------------- सेलेनियम
काफी से एलर्जी ------------------------------ नक्स वोमिका
किसी प्रकार का टीका लगाने से एलर्जी ----- --- थुजा
किसी प्रकार के मसालों से एलर्जी --------- --- नक्स वोमिका
लहसुन से एलर्जी --------------------------- फासफोरस
अचार से एलर्जी ----------------------------- कार्बो वेज
साधारण नमक से एलर्जी -------------------- नैट्रम म्युर
फलों से एलर्जी ------------------------------ आर्सेनिक
तम्बाकू से एलर्जी----------------------------- नक्स वोमिका
माँ के दुध से बच्चे को एलर्जी ---------------- साईलेशिया
आलुओं से एलर्जी ---------------------------- एलुमिना
सब्जियों से एलर्जी --------------------------- नैट्रम सल्फ
मछली से एलर्जी ----------------------------- आर्सेनिक
गर्म पेय पदार्थो से एलर्जी --------------------- लैकेसिस
ठंडे पेय पदार्थों से एलर्जी ---------------------- विरेट्रम एल्बम
किसी भी उत्तेजक कारक के कारण यदि --------- एपिस/आर्टिका युरेन्स
त्वचा के जलन खुजली होने लगे तो

किसी भी उत्तेजक कारक के कारण यदि --------- नक्स वोमिका/ हिस्टामिन
लगातार छींक आने लगे, नाक से
पानी आने लगे , नजले जैसा लक्षण उत्पन्न
होने पर
उक्त दवाओं के 200/1M पोटेन्सी मे 3 खुराक तीन दिनों तक (प्रतिदिन एक बार शुबह में) लेकर फिर प्रत्येक सप्ताह एक खुराक लेने पर लें आशातीत लाभ मिल सकता है..

मैने धुल और धुयें से होने बाली एलर्जी में एकोनाईट 3x, इपिकाक 3x, एन्टिम टार्ट की 3xतीनों का मिश्रण 3-3 बुन्द प्रत्येक घटें पर रोग की तीव्रता के आधार पर देकर काफी लाभ पाया है. रोग की तीव्रता घटने पर दवा देने का अन्तराल बढाते जाते है. बाद में दिन मे तीन बार

किसी भी कारण यदि अचानक छींक आने लगे, नाक और आँख से पानी आने लगे तो मैं पहले नक्स वोमिका -200 का एक खुराक यानी दो बुन्द साफ जीभ पर दे देता हुँ और उसके 30 मिनट के बाद एकोनाईट - 3x या 30 तीन चार खुराकें 15-15 मिनट के अंतराल पर देने पर आशातीत सफलता प्राप्त हुई है.

यदि किसी कारण से शरीर पर लाल लाल चकत्ते आ जाये जिसमे काफी जलन और खुजलाहट हो (मुख्यत: यह मौसम के परिवर्तन के कारण या किसी उत्तेजक कारक के सम्पर्क मे आने से होता है.) तो सल्फर-200 का एक खुराक देकर एक घंटे के बाद तीन चार खुराकें रस टक्स-200 का दें तीन तीन घंटे के अंतराल पर .

Posted by Ashokkumar Baranwal, ओन Monday, August 24, 2009

4 टिप्‍पणियां:

  1. I like this treatment, मैं एक Social Worker हूं और Jkhealthworld.com के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य के बारे में जानकारियां देता हूं। आप हमारे इस blog को भी पढं सकते हैं, मुझे आशा है कि ये आपको जरूर पसंद आयेगा। जन सेवा करने के लिए आप इसको Social Media पर Share करें या आपके पास कोई Site या Blog है तो इसे वहां परLink करें ताकि अधिक से अधिक लोग इसका फायदा उठा सकें।
    Health World in Hindi

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  2. सर नमस्कार मेरा नाम राहुल भाटी है मुझको नजले की प्रॉब्लम है यह प्रॉब्लम मुझको कम से कम 10 साल से इस नजरिए के क*** मेरे पांच जिलों में हलके हलके चेचक वाले दाग से भी हो गए हैं मुझको बताएं कि मैं कौन सी दवाई का प्रयोग करो धन्यवाद

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  3. मेरा नाम रतन कुमार साह है, मै अभी 65 वर्ष का होने वाला हूँ, मैं, चिड़चिड़ा, ईर्ष्याशील, डरपोक, व्यवहारअकुशल, झट क्रोधित तथा झट शान्त, भुलक्कड़, अनुपस्थित दिमाग का हूँ, किन्तु स्कूल कॉलेज में टॉपर रहा हूँ, हालाँकि मैं एक हरफनमौला (चित्रकार, संगीतकार, कवि, शिक्षक, आर्किटेक्ट, कंप्यूटर डिजाइनर, विभिन्न भाषाओं का ज्ञाता, समाजसेवक.....) हूँ फिर भी जीवन में आर्थिक रुप से असफल इन्सान हूँ, मेरी जीवन पद्धति बहुत ही धीमी रही है, खेल या व्यायाम आदि में कभी रुचि नहीं रही, बचपन में बहुत ही चटोरा था, किन्तु खानपान तथा रहन सहन अभी बहुत ही संतुलित करता हूँ, हालाँकि मिष्ठान ईत्यादि के प्रति अभी भी बहुत ही लालची हूँ,काफी परिश्रम कर लेता हूँ परन्तु परिश्रम के उपरांत शाम को पाँव की पिण्डली बहुत ही कठोर एवं पीडा़युक्त हो जाती है, मुझको थायरायड, आर्थराइटिस, युरिक ऐसिड और एनिमिया की समस्या है, मुझमें बचपन से ही कोष्ठकाठिन्य, वायुविकार, अम्लपित्त तथा आमदोष (मलत्यागोपरान्त सन्तुष्टि न होना) के लक्षण हैं, शीतकालीन दिनों तथा रात्रि में कुछ भी गर्म या ठण्डा, मीठा, तीखा, खट्टा या नमकीन खाने पर सिर से अनवरत पसीना बहना आरम्भ हो जाता है जिस कारण से खाते समय प्रचुर कठिनाई होती है, लगभग दस वर्ष पहले मेरा हाथ पाँव तथा मुँह आदि सुज गया था और भयंकर पीड़ा थी जिसमें एक्टिया स्पाईकाटा के व्यवहारोपरान्त आज तक फिर वैसे लक्षण नहीं देखे, लगभग डेढ़ दो साल पहले सारे शरीर पर दाद जैसे बहुत ही खुजलीदार चकत्ते हो गए थे, जो कि डेयरी प्रॉडक्ट (दूध, दही, पनीर, छेना, चीज), गुड़, बैंगन, कच्चु, कुम्हड़ा, ओल इत्यादि के प्रयोग से बढ़ता था जिसके बारे में अधिकतर चिकित्सकों का निदान फंगल ईन्फेक्सन तथा कुछेक के अनुसार भैंसिया दाद था नक्स वोमिका तथा बैलाडोना का व्यवहार करके उपकार न मिलने पर फ्लुकोनाजोल 150 तथा ईट्राकोनाजोल 100 के सेवन करने के बाद सारे घाव पुर्णतया गायब हो चुके हैं परन्तु बिछावन के संस्पर्श में आने पर चमडी़ में खुजली होती है, कुछ सालों से जब भी तेज सर्दी पड़ती है तो मुझे तेज खांसी, सर्दी, श्वांस कष्ट, गले में दर्द, नाक बन्द होने की समस्या शुरू हो जाती है, ये सभी लक्षण दोपहर बाद सांयकाल को क्रमश: बढ़ना आरम्भ कर देते हैं तथा जब कभी प्रातःकाल पेट भली प्रकार साफ हो जाने पर नाक से तथा गले से कफ निष्कासन इतनी अच्छी प्रकार हो जाता है कि मैं दिन भर पुर्णतया निरोग जैसा बोध करता हूँ

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